Wednesday 3 January 2018

क्रोध और स्वार्थ


हम क्रोध और स्वार्थ को एक सामान्य भावना मानते हैं लेकिन ये सामान्य भावना व्यक्ति के भीतर भ्रम की स्थिति पैदा करती है। इसके फलस्वरूप हमारा मस्तिष्क सही और गलत के बीच अंतर करना छोड़ देता है, इसलिए इंसान को क्रोध के हालातों से बचकर हमेशा शांत रहना चाहिए।

इंसान का स्वार्थ उसे अन्य लोगों से दूर ले जाकर नकारात्मक हालातों की ओर धकेलता है। परिणामस्वरूप व्यक्ति अकेला रह जाता है। स्वार्थ शीशे में फैली धूल की तरह है, जिसकी वजह से व्यक्ति अपना प्रतिबिंब ही नहीं देख पाता। अगर जीवन में खुश रहना चाहते हैं तो स्वार्थ को कभी अपने पास भी ना आने दें।

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*अच्छे के साथ अच्छे बनें *पर बुरे के साथ बुरे नहीं।*


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 *नेक लोगों की संगत से*
*हमेशा भलाई ही मिलती हे,*
*क्योंकि....*
*हवा जब फूलो से गुज़रती हे,*
*तो वो भी खुश्बुदार हो जाती हे.*

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